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एकादशी के दिन चावल खाना अशुभ माना जाता है और एकादशी से अगले दिन चावल खाना शुभ माना जाता है, ऐसा क्यों?

 एकादशी के दिन चावल खाना अशुभ माना जाता है और एकादशी से अगले दिन चावल खाना शुभ माना जाता है, ऐसा क्यों? 

एकादशी के दिन चावल खाना अशुभ माना जाता है और एकादशी से अगले दिन चावल खाना शुभ माना जाता है, ऐसा क्यों? आइए विस्तार पूर्वक चर्चा करते हैं -


हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत महत्व है| हिंदू धर्म में हर महीने कल दो एकादशी और 1 साल में कल 24 एकादशी पड़ती हैं| वैसे तो हिंदू धर्म में अलग-अलग त्योहारों का अपना-अपना महत्व है, लेकिन एकादशी का भी एक अपना महत्व है| इस दिन कुछ चीजों को खाने की अनुमति नहीं होती है वरना व्यक्ति को दोष भी लग सकता है|एकादशी तिथि के दिन चावल खाने की मनाही है, लेकिन द्वादशी के दिन चावल खाना शुभ माना जाता है|

द्वादशी में चावल खाने का महत्व

एकादशी के अगले दिन यानी द्वादशी को चावल खाना बहुत ही शुभ माना जाता है, और ऐसा माना जाता है, जो व्यक्ति इस दिन चावल खाता है, उसके जीवन में चल रही परेशानियां दूर हो जाती हैं| और वह जो भगवान जी से फल मांगते हैं उसकी प्रति उन्हें हो जाती है| इसीलिए द्वादशी को चावल जरूर खाना चाहिए|

द्वादशी तिथि को खाएं पीले चावल

एकादशी के अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को पीले चावल खाने का बहुत महत्व है| ऐसा माना जाता है, कि इस दिन जो व्यक्ति पीले चावल ग्रहण करता है| उसको यश और सौभाग्य की प्राप्ति होती है, भगवान विष्णु की कृपा भी उन पर बनी रहती है| इसलिए द्वादशी तिथि के दिन विशेष रूप से पीले चावलों का सेवन करना चाहिए|

द्वादशी में बनाएं और दान करें कड़ी चावल

द्वादशी तिथि के दिन कढ़ी चावल को बनाना और खाना बहुत ही शुभ माना जाता है| इतना ही नहीं इस दिन कढ़ी चावल का दान करने से भी व्यक्ति के जीवन में चल रही परेशानियां दूर होती है और उसको मनचाहे फल की प्राप्ति होती है| और उसको ग्रह दोष से छुटकारा मिल जाता है| और इस दिन भगवान विष्णु को भी कढ़ी चावल का भोग लगाते हैं तो इससे भगवान विष्णु आपको मनचाहे फल देते हैं|





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